गेहूं का आटा ( wheat flour)

 गेहूं का आटा सबसे ज़्यादा खाने में आता है ।लगभग सभी जगह पर गेहूं का आटा खाया जाता है । क्या आपको पता है की जो आटा आप खा रहे है वो अच्छा है या आप सिर्फ़ भुसा(बिनागुणवक्ता वाला) है। कई लोगों को ये नहीं पता होता है कि गेहूं से आटा कैसे बनता है ओर आटा बनाने में कौन सी मशीनरी और तरीक़ा होता है ,या कैसी संस्था , फ़ैक्ट्री या जगह में पिसा हुआ है।वैसे देश में गेहूं का आटा बनाने में कई तरीक़े की मशीने हैं ।

पहले हम इस बात को जानते है कि हमारे बड़े बुजुर्ग हमारी आज की तुलना में हमसे कहीं ज़्यादा सेहतमंद थे। जिसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है उनके खानपान के तरीक़े को शुद्ध ओर प्रकृतिक चीजो को जिनका वो लोग खाने के काम में लिया करते थे । जो आज हम चाह कर भी उपयोग मे नही ला सकते है ।क्यूँकि हमारी इस रोज़मारहा की ज़िंदगी मे हम ईस ओर समय ही नहीं दे पाते हैं ।
हमारे बुजुर्ग रोज़ का आटा रोज़ पीस के खाते थे । वो भी हाथ से चलने वाली हाथ चक्की से ,जो एक बहुत धीरे गति से चलती थी। परंतु आज रोज़ का रोज़ पीसना संभव नहीं है , क्योंकि हमारी लाइफ़स्टाइल पूरी तरीक़े से बदल चुकी है ।इसलिए हम एक महीने का आटा एक साथ लेके आते है , ओर वो भी कंम्पनी पैक आटा ओर सोचते है की हम रोटी या चपाती ख़ाके सेहतमंद ज़िंदगी जी रहे है । लेक़िन आप ये नहीं जानते की वो गेहूँ कैसे थे या कोनसी मशीन से पिसे हुए थे।
क्यूँकि आज के जमाने में सबको पैसे कमाने की लगी है ,लेकिन अपनी या दूसरों की सेहत की नहीं ।
अगर आप कहते है कि हम तो अपना गेहूँ लाते है ओर गली के बार वाली दुकान से पिसालेते है । क्या वो शुद्ध है ?
हो सकता है लेकिन सम्भावना ये है की वो शुद्ध नहीं है । क्यूँकि आप जब बाहर से महेंगे भाव का गेहूँ लाते है ओर जब दुकान वाला आपको पीसके देता है तब वो आपसे पहले जिसका पीसा है ,उसका आधे से जयदा आटा आपके पास आता है । अभ ये नहीं पता की आपसे पहले वाले ने गेहूँ २ रु किल्लों लिए या ५० रू.
ओर साफ़ किया या नही क्या पता।

अभ आप बोलेंगे की हम तो गेहूँ भी अच्छे लाते है ओर पास खड़े होके ही पेसाते है ।
क्या आपको पता जिस चक्की पे आप अपना गेहूँ प्रॉसेस करवा रहे है वो कितनी तीजी से घूमती है ? क़रीबन एक मिनट में 500 से 700 रोटेशन पर घुमती है । इतना तेज़ी से घूमने से आपका आटा इतना गरम हो जाता है की आप उसे हाथ तक नहीं लगा सकते हैं , अब रही पोस्टिकता की बात तो जिस तरह आटा गरम होता है इतनी तेज गति की मशीन से पिसने के बाद उसमें जितने भी पोषक तत्व होते है वो नष्ट हो जाते है ओर आप सिर्फ़ बिना पोस्टिक तत्व का सिर्फ़ एक पाउडर ही खाते है , जो आपके पेठ में जाके आपका पेठ तो भारता है , लेकिन आपका पोस्टिकआहार के रूप में कुछ नहीं मिलता. ओर ईसलिए आज कल पेट के सम्बन्ध की बीमारी बहुत आम सी बात है। अब आप सोच रहे होंगे की आटा बाहर पीसा भी नहीं सकते ओर बाहर का खा भी नहीं सकते तो स्वस्थ रहने के लिए क्या करे? अभी भारत में कुछ ऐसी कम्पनियाँ है जो low RPM grinding mills बनती है ।जो की चलती तो बिजली से है लेकिन हाथ की गति से । उन चक्की से पिस्सा हुआ आटा महँगा ज़रूर होता है ।लेकिन अब ये आपको तय करना है की आटा महँगा ख़रीदना है या महँगे हॉस्पिटल का बिल .

पुराने पारंपरिक तरीक़े से आटा बनाना लगभग बंद हो गया है ।जो पहले हाथ से घटी चलाकर बनाया जाता था । उसमें पोषण तत्व पूरी तरह से बने रहते थे ,क्योंकि गेहूं को 60-70 rpm पर पीसा जाता था जो आटा बिल्कुल गर्म नहीं होता था ।पर आज कल ऐसा नहीं है । अब 600-700 rpm से 2880 rpm पर पत्थर चलते हैं ।ज़्यादा rpm पर चलने से आटा अत्यधिक गर्म हो जाता है ।और इसमें आटे में पोषण तत्व पूरी तरह से जलकर नष्ट हो जाते हैं ।आज कल कैमिकल से बने हुए पत्थर जिसे एमरी स्टोन कहते है ( emerystone Magnesium oxide,
Magnesium chloride & synthetic emery के मिश्रण से बनता है ) जो लगभग सभी राज्यों में अत्यधिक मात्रा में चलन में है ।जो पूरी मशीनें बाज़ार में चल रही है , लगभग सभी ऐमरी स्टोन के पत्थर से चलती है ।जिसे पिसा हुआ आटा स्वास्थ्य के लिए पुरी तरह से सही नहीं होता है ,जितना गरम आटा बनेगा उतना ही आटे की गुणवत्ता कम होगी , पर आज के समय में इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है ।आटा बनाने का और आटे की पौष्टिकता नहीं होने से हमारे शरीर को जो प्रोटीन और विटामिन मिलने चाहिए जो नहीं मिल पाते हैं ।आटा जितना सफ़ेद होगा उतना ही नुक़सानदायक होगा , आटा सफ़ेद होने का कारण होता है गेहूं का चोकर निकाल कर आटा बनाया जाता है ,जो चोकर निकालने पर आटा घासफुस उसकी तरह हो जाता है जो बिना कुछ फ़ायदे की अत्यधिक नुक़सान करता है ।बड़ी बड़ी कंपनियों का आटा प्रिजर्वटिव युक्त होता है,बल्की ईसमे फाईबर ओर पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन ओर विटामिन पुरी तरह से समाप्त हो जाते हैं ।जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को ही समाप्त कर देता है ।
आज कल बाज़ार में कुछ नई तरह की मशीनें बन रही हैं जो नैचुरल स्टोन (प्राकृतिक रूप से बना पत्थर जिसे ज़मीन से निकालकर या पहाड़ को तोड़कर बनाया जाता है) से आटा पीसने की low rpm की मशीन बनायी जाती है , जो धीमी गति से चलती है और आटा पारंपरिक तरीक़े की तरह पीसाई की जाती है जो पुरीतरह से ठंडा होता है ।इस प्रकार से पिसाई किया हुआ आटा न केवल शुद्ध ताज़ा और प्रिजर्वटिव मुक्त होता है, बल्कि ईसमे फाईबर ओर पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन ओर विटामिन उच्च मात्रा में होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है । आप सुरक्षित ओर स्वास्थ्य जीवन के लिए अच्छे आटे का ही प्रयोग करे ।


Amrit Jain 

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